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पैक्स और डेयरी से जुड़े सरकार के इस फैसले से सीधे तौर पर बढ़ जाएगी किसानों की आमदनी

पैक्स और डेयरी से जुड़े सरकार के इस फैसले से सीधे तौर पर बढ़ जाएगी किसानों की आमदनी

हाल ही में केंद्रीय मंत्री द्वारा दिए गए बयान से यह बात सामने आई है कि भारत में सरकार सहकारिता आंदोलन को और अधिक मजबूती देने के लिए कार्य कर रही है. सरकार द्वारा जमीनी स्तर पर इसे मजबूत बनाने के लिए कई तरह की सहकारी समितियों का निर्माण किया जाएगा. खबरों की मानें तो देश में एक बार फिर से सहकारिता आंदोलन जोर पकड़ने वाला है. केंद्र सरकार भी इसे लेकर बड़े लेवल पर काम कर रही है. इसके तहत अगले 5 साल में 2 लाख प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स; PACS), डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा गठित की जाएगी. इस सभी कार्य को लेकर केंद्र सरकार ने प्रस्ताव को पूरी तरह से मंजूरी दे दी है. हाल ही में हमारे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक मंत्रिमंडलीय बैठक में इस फैसले की जानकारी जनता को दी है.  अभी भी पूरे देश में लगभग  63,000 पैक्स समितियां कार्य कर रही है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा दी गई जानकारी से पता चला है कि देश में सहकारिता आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए आने वाले समय में कई तरह की समितियों का गठन किया जाएगा.

जलाशय पंचायत में बनाई जाएंगी मत्स्य पालन समिति

इस योजना के तहत प्रत्येक पंचायत में पैक्स समिति  तो बनाई ही जाएगी इसके अलावा सभी पंचायत जहां जलाशय है वहां पर मत्स्य पालन समिति बनाने की योजना भी बनाई जा रही है. अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल की बैठक में यह जानकारी दी है कि इस योजना के प्रस्ताव को हाल ही में चल रही बाकी सभी सरकारी योजनाओं के साथ मेल मिलाप करते हुए लागू किया जाएगा. यह  सहकारी समितियां योजना को एक जरूरी और आधारभूत ढांचा बनाने में मदद करेगी और आगे चलकर यह इस योजना को एक सशक्त रूप देने में भी काफी सहायक साबित होगी. ये भी पढ़े: जानिये PMMSY में मछली पालन से कैसे मिले लाभ ही लाभ

कंप्यूटरीकरण के लिए रखा गया है बजट

इस योजना के तहत जो भी किसान सहकारी समिति के सदस्य बनते हैं उन्हें खरीद और विपणन जैसी सुविधाएं सरकार द्वारा दी जाएंगी जो उनकी आमदनी बढ़ाने में सीधे तौर पर मदद करेगी.इन सभी योजनाओं के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे जो वहां के लोगों के लिए काफी लाभकारी साबित होने वाले हैं.केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी आर्थिक मामलों से जुड़ी हुई समिति के साथ मिलकर इन सभी पैक्स समितियों का कंप्यूटरीकरण करने की बात भी कही है. अगर यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो जाती है तो ना सिर्फ कामकाज में पारदर्शिता आएगी बल्कि सभी जुड़े हुए व्यक्ति सही तौर पर जवाबदेह होकर अपना काम कर सकते हैं.हाल ही में देश भर में एक्टिव करीब 63,000 पैक्स समितियों के कंप्यूटरीकरण के लिए 2,516 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है और इसमें से केंद्र की हिस्सेदारी लगभग 1,528 करोड़ रुपये की  मानी जा रही है..
यह राज्य सरकार इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रति माह 1000 रुपये मुहैय्या करा रही है

यह राज्य सरकार इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रति माह 1000 रुपये मुहैय्या करा रही है

मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से राज्य की महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना चालू की गई है। योजना के अंतर्ग महिलाओं को 1000 रुपये हर माह दिए जाएंगे। इससे महिलाऐं काफी समृद्ध हो सकेंगी। बतादें, कि राज्य सरकारें महिलाओं को सशक्त और मजबूत बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। महिलाओं को उनका अधिकार मिल पाए। इस संबंध में राज्य सरकारें निरंतर कदम उठाती रहती है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भी महिलाओं के लिए बड़ी कवायद की है। एक करोड़ से ज्यादा महिलाएं इस योजना के अंतर्गत जुड़ चुकी है। राज्य सरकार उन्हें सशक्त व मजबूत करने का कार्य कर रही हैं। हालांकि, इस योजना का फायदा चुनावी तौर पर भी जोड़कर देखा जा रहा है। साथ ही, राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को समृद्ध और सशक्त बनाना ही पहली प्राथमिकता बताई जा रही है।

महिलाओं को प्रति माह मिलेंगे 1000 रुपये

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना जारी की है। योजना के अंतर्गत महिला आवेदकों को पंजीकरण करवाना जरुरी होगा। उसके बाद में संपूर्ण जांच पड़ताल करने के उपरांत महिलाओं के खाते में प्रति माह 1000 रुपये हस्तांतरित किए जाएंगे। महिलाओं को यह धनराशि 10 जून के उपरांत मिलनी चालू हो जाएगी।

पंजीकरण की अंतिम तिथि क्या है

लाडली योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन की तिथि 30 अप्रैल तक निर्धारित की गई है। आवेदकों की जांच कर उनका निराकरण 15 से 30 मई तक किया जाएगा। राज्य सरकार के अधिकारी योजना से जुड़ी समस्त जानकारी पोर्टल पर 31 मई तक प्रेषित कर दी जाएगी।

कितनी वर्षीय महिलाऐं इस योजना का फायदा उठा सकती हैं

जानकारी के लिए बतादें कि इस योजना का फायदा सिर्फ 23 से 60 साल तक की महिलाओं को प्राप्त हो पाएगा। परंतु, इस बात पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित रखना है, कि परिवार आयकर दाता नही होना चाहिए। साथ ही, उसके घर में चार पहिया वाहन भी नही होना चाहिए इसके अतिरिक्त बाकी नियमों का भी ध्यान रखा जाएगा। ये भी पढ़े: 3 लाख किसान महिलाओं के खाते में 54,000 करोड़ रुपये भेज किया आर्थिक सशक्तिकरण

योजना का फायदा लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज

दस्तावेजों के लिए कुछ डॉक्यूमेंट भी अत्यंत जरुरी कर दिए गए हैं। इसके अंतर्गत पासबुक की फोटोकॉपी, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड की कॉपी एवं एक फोटो की भी आवश्यकता होगी। किसान राज्य सरकार की अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपने आप से भी अपलोड कर सकते हैं। कॉमन सर्विस सेंटर में भी पंजीकरण करवाया जा सकता है।
पीएम प्रणाम योजना को मिली मंजूरी, केंद्र सरकार खास पैकेज के रूप में 3.7 लाख करोड़ करेगी खर्च

पीएम प्रणाम योजना को मिली मंजूरी, केंद्र सरकार खास पैकेज के रूप में 3.7 लाख करोड़ करेगी खर्च

यूरिया सब्सिडी स्कीम को 31 मार्च 2025 तक जारी रखने के लिए कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है। इसके अतिरिक्त मृदा की उत्पादकता को बढ़ाने एवं खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भी विभिन्न योजनाओं को स्वीकृति मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक के दौरान केंद्र सरकार द्वारा किसानों के हित में विभिन्न महत्वपूर्ण निर्णय लिए। केंद्रीय कैबिनेट ने सल्फर कोटेड यूरिया की शुरुआत को हरी झंडी दे दी। सल्फर कोटेड यूरिया को यूरिया गोल्ड के नाम से जाना जाएगा। इससे पूर्व सरकार नीम कोटेड यूरिया भी लेकर आ चुकी है। साथ ही, सरकार ने नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाने का भी फैसला किया है। साथ ही, यूरिया सब्सिडी स्कीम को 31 मार्च 2025 तक जारी रखने के लिए कैबिनेट से हरी झंडी मिल चुकी है। इसके अतिरिक्त मृदा की उत्पादकता को बढ़ाने एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु भी विभिन्न योजनाओं को मंजूरी मिली है। साथ ही, कचरे से पैसा बनाने के लिए मार्केट डेवलपमेंट अस्सिटेंस के लिए 1451 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया गया है। वहीं, पराली एवं गोबर्धन पौधों से ऑर्गेनिक खाद बना कर मृदा की गुणवत्ता को बढ़ाया जाएगा।

पंजाब में सबसे ज्यादा खाद का इस्तेमाल किया जाता है

कैबिनेट बैठक के उपरांत केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है, कि जो राज्य सरकारें कम उर्वरकों का उपयोग करेंगी, उनको केंद्र की तरफ से प्रोत्साहन दिया जाएगा। विशेष बात यह है, कि पंजाब खाद का इस्तेमाल करने में नंबर वन राज्य है। इसने पहले के तुलनात्मक 10 प्रतिशत ज्यादा उर्वरक का इस्तेमाल किया है, जबकि पैदावार में गिरावट आई है। ये भी पढ़े: इस राज्य में किसान कीटनाशक और उर्वरक की जगह देशी दारू का छिड़काव कर रहे हैं

किसानों के लिए 3.7 लाख करोड़ रुपए के विशेष पैकेज की घोषणा

साथ ही, केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडविया ने कहा है, कि कैबिनेट ने किसानों के लिए 3.7 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा की है। साथ ही, बैठक में पीएम प्रणाम योजना के नाम से एक योजना चालू करने का फैसला लिया गया है। इस योजना के अंतर्गत यदि कोई राज्य रासायनिक खाद के स्थान पर जैविक खाद का उपयोग करता है, तो सब्सिडी पर होने वाली बचत राशि को उसी राज्य को प्रोत्साहन के रूप में दिया जाएगा।

केंद्र सरकार सल्फर कोटेड यूरिया हेतु 370000 करोड़ रुपये का खर्चा करेगी

जानकारों के मुताबिक, सल्फर कोटेड यूरिया का उपयोग करने से किसानों को काफी लाभ मिलेगा। साथ ही, उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी होगी। केंद्र सरकार आगामी 3 साल में सल्फर कोटेड यूरिया के ऊपर 370000 करोड़ रुपये का खर्चा करेगी। फिलहाल, भारत में 12 करोड़ किसान उर्वरक उपयोग कर रहे हैं। औसतन केंद्र सरकार प्रत्येक किसानों को 21233 रुपये उर्वरक सब्सिडी के तौर पर देती है। मुख्य बात यह है, कि विगत एक वर्ष में केंद्र सरकार द्वारा 12 करोड़ किसानों को उर्वरक सब्सिडी के रूप में 630000 करोड़ रुपये दिया है। वर्तमान में भारत खाद की मांग को पूर्ण करने हेतु दूसरे देश से 70 से 80 लाख मीट्रिक टन फर्टिलाइजर आयात करता है।
भारत सरकार शून्य बजट प्राकृतिक खेती के लिए क्यों और किस तरह से बढ़ावा दे रही है

भारत सरकार शून्य बजट प्राकृतिक खेती के लिए क्यों और किस तरह से बढ़ावा दे रही है

भारत के अंदर शून्य बजट प्राकृतिक खेती (जेडबीएनएफ) टिकाऊ एवं फायदेमंद दोनों होने की क्षमता रखती है। हालांकि, बहुत सारे कारक इसकी सफलता और लाभप्रदता को प्रभावित करते हैं। लागत-मुनाफा अनुपात के मुताबिक, यह दीर्घकाल में तभी फायदेमंद हो सकता है। जब एक स्थापित मूल्य श्रृंखला के साथ बड़े स्तर पर किया जाए और लघु स्तरीय किसानों के लिए इससे उबरना कठिन साबित होगा।

ZBNF के तहत स्थिरता

ZBNF जैविक कृषि पद्धतियों, मृदा संरक्षण एवं जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान केंद्रित करता है, जो दीर्घकालिक स्थिरता में सहयोग प्रदान करता है। रासायनिक आदानों को खत्म करके, ZBNF मृदा के स्वास्थ्य, जैव विविधता एवं पारिस्थितिक संतुलन को प्रोत्साहन देता है। यह बाहरी इनपुट पर निर्भरता को कम करता है, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करता है एवं कृषि प्रणाली में भी काफी सुधार करता है।

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ZBNF के अंतर्गत लागत में बचत

ZBNF के मुख्य सिद्धांतों में से एक बाहरी इनपुट को समाप्त करना और लागत को कम करना है। स्थानीय तौर पर उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल करके और प्राकृतिक कृषि तकनीकों को अपनाकर, किसान रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों एवं बीजों के खर्च को कम अथवा समाप्त कर सकते हैं। इससे वक्त के साथ महत्वपूर्ण लागत बचत हो सकती है, जिससे कृषि कार्यों की लाभप्रदता बढ़ सकती है।

मृदा स्वास्थ्य एवं पैदावार में सुधार

ZBNF प्रथाएं मल्चिंग, कम्पोस्टिंग एवं इंटरक्रॉपिंग जैसी तकनीकों के माध्यम से मृदा की उर्वरता में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करती हैं। ये विधियाँ मिट्टी की संरचना, जल-धारण क्षमता एवं पोषक तत्वों की विघमानता को बढ़ाती हैं, जिससे फसल की पैदावार में सुधार होता है। बढ़ी हुई उत्पादकता एवं लाभप्रदता पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। विशेष कर यदि किसान उन बाजारों तक पहुंच सकते हैं, जो जैविक पैदावार को पहचानते हैं और प्रीमियम का समय से भुगतान करते हैं।

ZBNF के अंतर्गत स्वास्थ्य जोखिम और इनपुट निर्भरता में कमी

रासायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों को समाप्त करके, ZBNF कृषकों एवं उपभोक्ताओं के लिए उनके इस्तेमाल से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को कम करता है। यह महंगे बाहरी इनपुट पर निर्भरता को भी काफी कम करता है, जिससे खेती का काम ज्यादा आत्मनिर्भर और मूल्य में उतार-चढ़ाव के प्रति सहज हो जाता है।

ZBNF के अंतर्गत जैविक उपज की बाजार मांग

भारत और विश्व स्तर पर जैविक एवं रसायन-मुक्त उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है। ZBNF इस बाजार प्रवृत्ति के साथ संरेखित होता है, जिससे किसानों को प्रीमियम बाजारों में प्रवेश करने और अपनी जैविक उपज के लिए उच्च मूल्य प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होता है। हालाँकि, इन बाजारों तक पहुँचना एवं प्रभावी ढंग से स्थिरता कायम करना एक चुनौती हो सकती है, और लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए बाजार संपर्क विकसित करने की जरूरत है।

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ZBNF के अंतर्गत ज्ञान और क्षमता निर्माण

ZBNF के सफल कार्यान्वयन के लिए किसानों को पर्याप्त ज्ञान और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। आवश्यक प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और ज्ञान-साझाकरण मंच प्रदान करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम, सरकारी सहायता और कृषि संस्थानों और गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। ZBNF प्रथाओं में सूचना, अनुसंधान और नवाचारों तक पहुंच स्थिरता और लाभप्रदता को और बढ़ा सकती है।

भारत सरकार शून्य बजट प्राकृतिक खेती को इस तरह से प्रोत्साहन दे रही है

सरकार प्राकृतिक खेती समेत पारंपरिक स्वदेशी प्रथाओं को प्रोत्साहन देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) की एक उप-योजना के रूप में 2020-21 के दौरान चलाई गई भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) के जरिए प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दे रही है। यह योजना विशेष रूप से समस्त सिंथेटिक रासायनिक आदानों के बहिष्कार पर बल देती है। साथ ही, बायोमास मल्चिंग, गाय के गोबर-मूत्र फॉर्मूलेशन के इस्तेमाल और अन्य पौधे-आधारित तैयारियों पर विशेष जोर देकर खेत पर बायोमास रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहन देती है। बीपीकेपी के अंतर्गत क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा निरंतर सहायता, प्रमाणन एवं अवशेष विश्लेषण के लिए 3 सालों के लिए 12,200 रुपये प्रति हेक्टेयर की वित्तीय सहायता मुहैय्या कराई जाती है।

प्राकृतिक खेती के तहत 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल को कवर किया गया है

कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, प्राकृतिक खेती के अंतर्गत 4.09 लाख हेक्टेयर रकबे को कवर किया गया है। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि देश भर के 8 राज्यों को कुल 4,980.99 लाख रुपये का फंड जारी किया गया है। जबकि ZBNF में टिकाऊ और लाभदायक होने की क्षमता है, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि परिणाम स्थानीय कृषि-जलवायु स्थितियों, फसल चयन, बाजार की गतिशीलता, किसानों के कौशल और संसाधनों तक पहुंच जैसे अहम कारकों के आधार पर अलग हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, ZBNF में परिवर्तन के लिए प्रारंभिक निवेश, मिट्टी के स्वास्थ्य की बहाली के लिए समय और किसानों के लिए सीखने की स्थिति की जरूरत हो सकती है। हालाँकि, उचित कार्यान्वयन, समर्थन एवं बाजार संबंधों के साथ, ZBNF भारत में एक टिकाऊ एवं लाभदायक कृषि मॉडल प्रस्तुत कर सकता है।
किसान क्रेडिट कार्ड के उपयोग से कृषक इस तरह कम ब्याज पर कृषि ऋण प्राप्त कर सकते हैं

किसान क्रेडिट कार्ड के उपयोग से कृषक इस तरह कम ब्याज पर कृषि ऋण प्राप्त कर सकते हैं

किसान क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके कृषक भाई-बहन कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए उनको बैंक जाकर यहां दिए गए कागजात जमा करने पड़ेंगे। किसानों की सहायता के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं। इन योजनाओं के सहयोग से भारत भर के लाखों कृषकों को फायदा भी मिल रहा है। कृषक भाइयों को कृषि के दौरान आर्थिक समस्याओं का सामना ना करना पड़े, इसके लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना चलाई जा रही है। योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को ऋण की सुविधा भी प्रदान की जा रही है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि पूर्व में सिर्फ खेती करने वाले कृषकों को ही योजना के अंतर्गत फायदा दिए जाने की व्यवस्था थी। परंतु, वर्तमान में मछली पालन और पशुपालन करने वाले कृषक भाइयों को भी इस योजना के अंतर्गत फायदा दिया जा रहा है। किसान भाई फसल प्रबंधन के अतिरिक्त डेयरी के कार्यों एवं पंप सेट इत्यादि खरीदने के लिए भी ऋण ले सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत सरकार ने ये इंतजाम किया है, कि कृषकों पर ब्याज का ज्यादा दबाव ना पड़ सके। ब्याज के बढ़ जाने के कारण खेती की लागत भी काफी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से किसान भाई कर्जा के भार में भी फंस जाते हैं। इससे किसानों को निजात देने के लिए बैंकों के रेगुलर कर्ज से बहुत कम ब्याज केसीसी पर लिया जाता है।

कम ब्याज पर कृषि ऋण हेतु आवश्यक दस्तावेज

किसान भाइयों यदि आप कम ब्याज पर कृषि ऋण लेना चाहते हैं, तो आपके पास पहचान प्रमाण पत्र जैसे कि मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि होना अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ ही जमीन के दस्तावेज और आवेदक का पासपोर्ट साइज का फोटो होना भी बेहद जरूरी होता है।

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किसान भाई इस प्रकार आवेदन करें

किसान भाईयों को आवेदन करने के लिए प्रमाण पत्र, फोटो और भरा हुआ आवेदन पत्र बैंक में जमा करने पर किसान क्रेडिट कार्ड जारी होगा। आवेदन पत्र जमा करने के 15 दिन के भीतर KCC जारी हो जाएगा।

केसीसी लोन की ब्याज दर दो फीसद से लेकर औसतन 4 फीसद तक होती है

केसीसी लोन ब्याज दो प्रतिशत से आरंभ होती है। ये औसतन 4 प्रतिशत तक जाता है। ब्याज दर इस बात पर भी निर्भर करती है, कि किसान भाई केसीसी का लोन कितने समय में चुका पाते हैं। अगर किसान भाई कम वक्त में ही भुगतान करें, तो उन्हें तीन लाख रुपये तक का कर्ज बेहद ही आसान 4 प्रतिशत की दर से मिल सकता है। इसके साथ-साथ इसमें इंश्योरेंस का फायदा भी किसानों को मिलता है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अब ट्रैक्टर, तालाब और पशुओं को भी कवर करने की तैयारी

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अब ट्रैक्टर, तालाब और पशुओं को भी कवर करने की तैयारी

किसान भाइयों को वर्तमान में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत उनकी फसल के लिए बीमा कवर का फायदा मिलता है। साथ ही, किसानों को इस योजना के अंतर्गत तालाब, ट्रैक्टर एवं मवेशियों इत्यादि के लिए बीमा कवर का फायदा मिल सकता है। केंद्र सरकार भारत के किसानों को एक नई सौगात देने की तैयारी में है। मीडिया खबरों के मुताबिक, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को मिलने वाले फायदों को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कोशिशें की जा रही हैं। इस वजह से शीघ्र ही किसानों को सहूलियत मिलने की संभावना है। जानकारी के लिए बतादें, कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फिलहाल किसानों को उनकी फसल के लिए बीमा कवर का लाभ मिलता है। मोदी सरकार वर्तमान में इस बीमा योजना का दायरा बढ़ाने की तैयारियाँ कर रही है। आगामी कुछ दिनों में किसानों को इस योजना के अंतर्गत तालाब, ट्रैक्टर और मवेशी इत्यादि के लिए बीमा कवर का लाभ मिल सकता है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सकारात्मक सुधार

पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार शीघ्र ही देशभर के किसानों को एक खास तोहफा देने की तैयारी में है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सरकारी अधिकारियों के माध्यम से यह दावा किया है। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि रिपोर्ट में बताया गया है, कि केंद्र सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में मुनाफे का दायरा फसलों से आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसके अंतर्गत तालाब, ट्रैक्टर, मवेशी, ताड़ के पेड़ जैसी संपत्तियों को भी फसल बीमा योजना के अंतर्गत लाने की तैयारियाँ चल रही हैं।

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पोर्टल को नवीन रूप देने की संभावना

केंद्र सरकार पीएम फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पोर्टल को नया स्वरूप दे सकती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पोर्टल को एक व्यापक मंच के तौर पर विकसित किया जा सकता है। यह कृषकों को फसलों के अतिरिक्त अन्य संपत्तियों पर बीमा कवर से फायदा उठाने में सक्षम बनाएगा। सरकार इसके लिए आसानी से 30 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान कर सकती है।

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किसान भाई इस ऐप की सहायता ले सकते हैं

बतादें, कि रिपोर्ट के अनुसार, AIDA से PMFBY के इस अभियान को और अधिक विकसित किया जा सकता है। AIDA ऐप इस वर्ष जुलाई में लॉन्च किया गया था। इस ऐप के अंतर्गत घर-घर जाकर लोगों का पंजीकरण किया जाएगा, जिससे कि किसानों के लिए PMFBY को और अधिक सुलभ किया जा सके। इस ऐप के माध्यम से इंश्योरेंस इंटरमीडियरीज ना केवल फसल बीमा के लिए किसानों का एनरॉलमेंट कर पाऐंगे, बल्कि वह 4 करोड़ किसानों को बिना अनुदान वाली योजनाओं का फायदा भी दे पाऐंगे।
मोदी सरकार महिला किसानों को इस योजना के तहत वार्षिक 12 हजार प्रदान करेगी

मोदी सरकार महिला किसानों को इस योजना के तहत वार्षिक 12 हजार प्रदान करेगी

मोदी सरकार शीघ्र महिला कृषकों को काफी बड़ा तोहफा प्रदान कर सकती है। सूत्रों की मुताबिक, 1 फरवरी को प्रस्तुत होने वाले अंतरिम बजट में सरकार महिला कृषकों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की धनराशि दोगुनी करने की घोषणा कर सकती है। लोकसभा चुनाव से पूर्व मोदी सरकार महिला कृषकों को एक बड़ा तोहफा देने की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार महिला किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की धनराशि डबल कर सकती है। यानी कि महिला कृषकों के खाते में 6 की वजाय अब 12 हजार रुपये आऐंगे। PM kisan Yojana के अंतर्गत वर्तमान में लघु और सीमांत कृषकों को वार्षिक 6000 रुपये प्रदान किए जाते हैं, जो दो-दो हजार रुपये की तीन किस्तों में कृषकों के खातों में पहुँच जाते हैं। ये एक तरह की आर्थिक सहायता है जो सरकार द्वारा छोटे किसानों की मदद के लिए दी जाती है।

सरकार द्वारा योजना से महिलाओं का समर्थन पाने की तैयारी

संपन्न हुए देश के 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के चुनावी वादों पर जनता ने विश्वास जताते हुए भाजपा को अप्रत्याशित जीत दिलाई है। इसमें भाजपा को महिला कृषकों का समर्थन हांसिल करने में "लाडली बहना" और "लाडली लक्ष्मी योजना" की सफलता और एमपी के चुनाव में महिलाओं का भरपूर समर्थन दिलाया। इससे सबक लेकर केंद्रीय भाजपा सरकार अब देश की महिला किसानों का समर्थन प्राप्त करने के लिए उनकी सम्मान निधि को दोगुना करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। 

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सरकार फरवरी में आने वाले बजट में ऐलान कर सकती है

कृषि मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, बजट में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को एक नवीन श्रेणी में लागू करने की तैयारी चल रही है। इसके तहत महिला कृषकों की सम्मान निधि को 6 हजार रुपये से बढ़ाकर 12 हजार रुपये किया जा सकता है। इसकी घोषणा आने वाले अंतरिम बजट में हो सकती है, जो 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कृष‍ि मंत्रालय और वित्त मंत्रालय ने इसकी सारी तैयारी पूर्ण कर ली है। इस संबंध में समस्त राज्यों से लैंड होल्डिंग वाली जमीन की मालिक महिला कृषकों का विवरण भी मंगा लिया गया है। इसके विश्लेषण से सरकारी खजाने पर पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ समेत बाकी पहलुओं पर विचार कर लिया गया है। हालांकि, अब तक इस पर न तो मंत्रालय और न ही सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक घोषणा की है।


 

क्या इससे प्रभावित होगा सरकारी बजट?

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत 1.40 अरब आबादी में कृषकों की संख्या तकरीबन 26 करोड़ है। इसमें महिला किसानों की हिस्सेदारी तकरीबन 60 % फीसद है। वहीं, इनमें से भी केवल 13% फीसद महिला कृषकों के नाम पर खेती की जमीन है। मतलब कि महज 13 प्रतिशत महिला किसान ही लैंड होल्डिंग रखती हैं। अगर महिला किसानों की सम्मान निधि दोगुनी की जाए, तो केंद्र सरकार को 12 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार वहन करना पड़ेगा। केंद्र सरकार का समकुल अनुमानित बजट तकरीबन 550 अरब डॉलर होता है। इस हिसाब से 12 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बजट के ढांचे को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा।

पीएम आवास प्लस योजना 2024 क्या है ?

पीएम आवास प्लस योजना 2024 क्या है ?

पीएम आवास प्लस योजना के अंतर्गत सरकार की तरफ से लोगों को घर बनाने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना का संचालन केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है।  

इस योजना के जरिये  देश के सभी जरूरतमंद लोग इसका लाभ उठा सकते है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य जरूरतमंद लोगों को आवास देना है। 

प्रधानमंत्री आवास प्लस योजना में आवेदन करने वाले सभी आवेदकों को इलाकों और क्षेत्रों के हिसाब से आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। 

मैदानी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को 1 लाख 20 हजार रुपए तक की राशि प्रदान की जाएगी और यही पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में रहने वाले लोगों को 1 लाख 30 हजार रुपए तक की राशि प्रदान की जाएगी। 

प्रधान मंत्री आवास प्लस योजना का लाभ 

इस योजना का लाभ उठाने वाले आवेदकों को अपने नजदीकी पंचायत ऑफिस में आवेदन करना होगा। आवेदन करने के बाद फॉर्म की जाँच की जाएगी आपको वास्तव में मकान की जरुरत है या नहीं। सभी जानकारी सही निकलने पर आवेदक इस योजना का लाभ उठा सकता है। 

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प्रधान मंत्री आवास योजना की पात्रता 

इस योजना का लाभ आवेदक केवल तभी उठा सकते है जब उसके पास खुद का मकान न हो। यदि किसी आवेदक के घर में कोई सरकारी नौकरी वाला सदस्य है तो वह इस योजना के लिए आवेदन नहीं कर सकता है।  

ईडब्ल्यूएस और एलजी श्रेणी में शामिल शामिल मुखिया महिला ही इस योजना का लाभ उठा सकती है। ईडब्ल्यूएस से जुड़े किसी भी सदस्य की वार्षिक आय 3 लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। 

प्रधान मंत्री आवास योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज 

  1. आधार का उपयोग करने के लिए उपयोगकर्ता की सहमती
  2. बैंक खाते का विवरण
  3. आधार कार्ड
  4. मनरेगा जॉब कार्ड नंबर
  5. स्वच्छ बारात मिशन योजना की संख्या
  6. वोटर आई डी कार्ड
  7. जाति प्रमाण पत्र
  8. पैन कार्ड
  9. मोबाइल नंबर
  10. पासपोर्ट साइज फोटो

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प्रधान मंत्री आवास प्लस योजना के लिए कैसे आवेदन करें 

  1. सबसे पहले इस योजना की आधारिक वेबसाइट पर  जाए (http://pmayg.nic.in/) 
  2. वेबसाइट पर आने के बाद menu baar में Awaassoft वाले ऑप्शन पर क्लिक करें। इतना करने के बाद फिर Reports वाले ऑप्शन पर जाए। 
  3. इतना करने के बाद फिर Social audit reports के ऑप्शन पर क्लिक करें इसके बाद Beneficiary details for verification पर आये। 
  4. इस ऑप्शन पर क्लिक करने के बाद उसमें आपको अपने राज्य का नाम, ब्लॉक का नाम , जिले का नाम , गाओं ओर वित्त वर्ष का चयन करना पड़ता है।